महाकुंभ 2025: प्रधानमंत्री मोदी ने किया प्रयागराज में विकास परियोजनाओं का शुभारंभ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा: सांस्कृतिक और आर्थिक सशक्तिकरण का संदेश

महाकुंभ 2025 के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रयागराज में कई महत्वाकांक्षी परियोजनाओं का उद्घाटन किया। उन्होंने इसे “एकता का महायज्ञ” बताते हुए देश की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को सशक्त बनाने की बात कही। प्रधानमंत्री ने आयोजन की तैयारियों और सुविधाओं का जायजा लेते हुए इसे श्रद्धालुओं के लिए एक अद्वितीय अनुभव बनाने की प्रतिबद्धता जताई।


महाकुंभ की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि

Mahakumbh 2025: PM Modi launches development projects in Prayagraj.
Mahakumbh 2025: PM Modi launches development projects in Prayagraj.

संगम नगरी: आध्यात्मिकता का प्रतीक

प्रयागराज का त्रिवेणी संगम – जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम होता है – सदियों से आध्यात्मिकता और आस्था का केंद्र रहा है। महाकुंभ का आयोजन हर 12 साल में होता है और यह भारतीय संस्कृति की गहराई और विविधता को दर्शाता है।

महाकुंभ 2025 का आयोजन 13 जनवरी (पौष पूर्णिमा) से 26 फरवरी (महाशिवरात्रि) तक होगा। इस बार के आयोजन में 40 करोड़ श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है, जो इसे दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन बनाता है।

सामाजिक एकता और राष्ट्रीय महत्व

महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह सामाजिक सुधारों और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का मंच भी है। प्रधानमंत्री ने इसे राष्ट्रीय एकता और समृद्धि के लिए अहम बताते हुए कहा कि यह आयोजन जाति, धर्म और क्षेत्रीय भेदभाव से परे है।


बुनियादी ढांचे का कायाकल्प: ₹5,500 करोड़ की विकास परियोजनाएं

नए निर्माण और अपग्रेडेशन की शुरुआत

प्रधानमंत्री ने ₹5,500 करोड़ की लागत से 167 परियोजनाओं का उद्घाटन किया। इनका उद्देश्य प्रयागराज को महाकुंभ के लिए तैयार करना है। इन परियोजनाओं में शामिल हैं:

  • स्मार्ट परिवहन नेटवर्क: शहर को हाई-स्पीड सड़क और रेल नेटवर्क से जोड़ा गया।
  • पेयजल और सफाई व्यवस्था: गंगा और यमुना की सफाई के साथ-साथ आधुनिक जल निकासी प्रणाली का विकास।
  • श्रद्धालुओं के लिए विश्राम गृह और कैंप: बेहतर सुविधाओं वाले टेंट सिटी और विश्राम केंद्र बनाए गए हैं।
  • डिजिटल समाधान: श्रद्धालुओं के मार्गदर्शन के लिए AI-आधारित चैटबॉट ‘सहAIयक’ का शुभारंभ।

स्वच्छता और स्थायित्व

महाकुंभ 2025 को स्वच्छ और पर्यावरण-अनुकूल बनाने के लिए विशेष कदम उठाए गए हैं। 15,000 से अधिक सफाईकर्मी तैनात किए गए हैं, और कचरे के प्रबंधन के लिए नवीन तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।


प्रधानमंत्री का संबोधन: सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की प्रतिबद्धता

आध्यात्मिक महत्व पर जोर

प्रधानमंत्री मोदी ने महाकुंभ के आयोजन को भारत की आध्यात्मिक धरोहर के उत्थान के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने इसे “भारत की सांस्कृतिक आत्मा का उत्सव” कहा।

संतों और सफाईकर्मियों का योगदान

प्रधानमंत्री ने महाकुंभ के आयोजन में संतों और सफाईकर्मियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने 2019 में सफाईकर्मियों के पैर धोने की घटना का स्मरण करते हुए कहा कि यह आयोजन उनकी मेहनत के बिना संभव नहीं है।

पिछली सरकारों पर आलोचना

प्रधानमंत्री ने पूर्ववर्ती सरकारों पर भारतीय संस्कृति की उपेक्षा का आरोप लगाया। उन्होंने रामायण, कृष्ण और बौद्ध सर्किट जैसे सांस्कृतिक सर्किट के विकास में वर्तमान सरकार के प्रयासों की सराहना की।


सर्वधर्म पूजा और संगम आरती

प्रधानमंत्री के धार्मिक अनुष्ठान

प्रधानमंत्री ने त्रिवेणी संगम पर संगम आरती, जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक किया। इसके बाद उन्होंने प्रयागराज के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों का दौरा किया, जिनमें शामिल हैं:

  • अक्षय वट वृक्ष
  • सरस्वती कूप
  • हनुमान मंदिर

प्रधानमंत्री ने महाकुंभ प्रदर्शनी का दौरा कर संतों से आशीर्वाद लिया और उन्हें मोती की माला भेंट की।


महाकुंभ: आर्थिक सशक्तिकरण का माध्यम

स्थानीय समुदायों को लाभ

महाकुंभ न केवल धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह स्थानीय व्यवसायों और कारीगरों के लिए आय का एक बड़ा स्रोत भी है।

  • हस्तशिल्प बाजार: पर्यटकों को भारतीय कला और शिल्प की झलक देने के लिए विशेष बाजार लगाए गए हैं।
  • होटल और परिवहन उद्योग का विकास: स्थानीय होटल व्यवसाय और परिवहन सेवाओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
  • महिलाओं के लिए विशेष अवसर: स्वयं सहायता समूहों और महिला उद्यमियों को महाकुंभ के माध्यम से रोजगार के अवसर दिए गए हैं।

महाकुंभ 2025: आधुनिक तकनीक और परंपरा का संगम

डिजिटल क्रांति: AI-आधारित समाधान

महाकुंभ 2025 को तकनीकी रूप से उन्नत बनाने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार किए गए हैं। AI-आधारित चैटबॉट ‘सहAIयक’ श्रद्धालुओं को मार्गदर्शन, ट्रैफिक जानकारी और पूजा स्थानों के बारे में जानकारी देगा।

ड्रोन और निगरानी प्रणाली

सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ड्रोन और उन्नत निगरानी प्रणाली लगाई गई है।


प्रधानमंत्री मोदी का दृष्टिकोण: सांस्कृतिक पुनर्जागरण की ओर कदम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकुंभ को भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाला आयोजन बताया। उन्होंने कहा कि यह न केवल भारत के आध्यात्मिक धरोहर का प्रतीक है, बल्कि यह दुनिया को भारत की विविधता और समृद्ध परंपराओं से परिचित कराने का अवसर भी है।

 

सारांश/स्थैतिक विवरण
समाचार में क्यों? पीएम मोदी ने महाकुंभ 2025 की तैयारी के लिए परियोजनाओं का उद्घाटन किया।
कार्यक्रम महाकुंभ 2025, जिसे “एकता का महायज्ञ” कहा गया।
बुनियादी ढांचा विकास – ₹5,500 करोड़ की लागत से 167 परियोजनाओं का उद्घाटन।
– शहर की बुनियादी ढांचा, परिवहन और सुविधाओं पर ध्यान केंद्रित।
– श्रद्धालुओं के लिए ‘सह‘AI’यक’ चैटबॉट, एक एआई-आधारित प्लेटफ़ॉर्म की शुरुआत।
तिथियाँ 13 जनवरी 2025 (पौष पूर्णिमा) से 26 फरवरी 2025 (महाशिवरात्रि) तक।
ऐतिहासिक महत्व – संतों के लिए राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करने और सामाजिक बदलाव प्रेरित करने का मंच।
– सामाजिक एकता और आर्थिक सशक्तिकरण की नींव।
सरकारी पहल – सांस्कृतिक सर्किट (रामायण, कृष्ण, बौद्ध सर्किट) का विकास।
– पूर्व सरकारों द्वारा उपेक्षित कुंभ की बुनियादी ढांचा को सुधारने की प्रतिबद्धता।
– स्वच्छता बनाए रखने के लिए 15,000 से अधिक सफाईकर्मियों की तैनाती।
समारोहिक गतिविधियाँ – त्रिवेणी संगम पर आयोजित अनुष्ठान: संगम आरती, जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक।
– अक्षय वट वृक्ष, हनुमान मंदिर, सरस्वती कूप का दौरा।
– महाकुंभ प्रदर्शनी में भागीदारी।
पीएम मोदी के प्रमुख संदेश – महाकुंभ “एकता का महायज्ञ” है, जो सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को ऊंचा करता है।
– सामाजिक एकता, आर्थिक सशक्तिकरण और भारतीय संस्कृति के प्रति सम्मान पर जोर।
स्वच्छता कर्मचारियों को मान्यता – सफाईकर्मियों की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर किया।
– 2019 में उनके पैर धोने का कार्य कृतज्ञता का प्रतीक था।

Leave a Comment