महाकुंभ 2025 के आयोजन पर एनजीटी का ऐतिहासिक फैसला
महाकुंभ के दौरान गंगा और यमुना नदियों में बिना शोधित मल और जल यानी अनट्रीटेड वाटर छोड़े जाने से रोकने और गंगा जल की पर्याप्त उपलब्धता की मांग को लेकर दाखिल याचिकाओं पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) नई दिल्ली ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। एनजीटी ने केंद्र व उत्तर प्रदेश सरकार को महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में गंगाजल की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही गंगाजल की गुणवत्ता पीने, आचमन करने और स्नान करने योग्य बनाए रखने का आदेश भी दिया है।
संगम नगरी प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ की शुरुआत
प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ की शुरुआत होने जा रही है। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी अहम है। एनजीटी ने यह सुनिश्चित करने के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं कि श्रद्धालुओं को गंगा जल से जुड़ी किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।
एनजीटी का 30 पन्नों का आदेश: मुख्य बिंदु
एनजीटी की डिवीजन बेंच, जिसमें चेयरपर्सन प्रकाश श्रीवास्तव और एक्सपर्ट मेंबर डॉक्टर ए सेंथिल वेल शामिल हैं, ने 30 पन्नों के आदेश में निम्नलिखित मुख्य बिंदु प्रस्तुत किए हैं:
1. गंगा-यमुना में सीवेज का जीरो डिस्चार्ज
एनजीटी ने निर्देश दिया है कि महाकुंभ के दौरान गंगा और यमुना नदियों में सीवेज का जीरो डिस्चार्ज सुनिश्चित किया जाए। यह सुनिश्चित करने के लिए सख्त निगरानी की जाएगी कि किसी भी प्रकार का प्रदूषित जल सीधे नदियों में न छोड़ा जाए।
2. नालों और टेनरियों के गंदे पानी पर पूर्ण प्रतिबंध
महाकुंभ के दौरान, नालों और टेनरियों का गंदा पानी गंगा और यमुना में गिरने से रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। एनजीटी ने जोर दिया है कि सरकार इन नालों के प्रवाह को बंद करने के लिए प्रभावी उपाय करे।
3. नियमित जल गुणवत्ता जांच
केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को हफ्ते में कम से कम दो बार गंगाजल का सैंपल लेना होगा।
- सैंपल की विविधता: हर बार अलग-अलग स्थानों से सैंपल लिए जाने चाहिए। सैंपलिंग के दौरान सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रत्येक स्थान की सटीक जानकारी दर्ज की जाए।
- भीड़ के आधार पर सैंपलिंग: महाकुंभ में भीड़ बढ़ने पर सैंपलिंग की संख्या भी बढ़ाई जानी चाहिए।
4. रिपोर्टिंग और पारदर्शिता
सैंपल की रिपोर्ट एनजीटी के रजिस्ट्रार जनरल को नियमित रूप से भेजी जानी चाहिए। इसके अलावा, यह रिपोर्ट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट पर भी अपलोड की जाएगी, ताकि आम जनता भी इसे देख सके।
5. श्रद्धालुओं की सुरक्षा
गंगाजल की गुणवत्ता ऐसी होनी चाहिए कि यह न केवल स्नान करने के लिए बल्कि पीने और आचमन के लिए भी उपयुक्त हो। एनजीटी ने यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार को निर्देश दिया है कि जल की शुद्धता पर विशेष ध्यान दिया जाए।
6. पोस्ट-मेला मैनेजमेंट
मेला समाप्त होने के बाद, कचरे और वेस्ट मटेरियल का डिस्पोजल पर्यावरणीय मानकों के तहत किया जाना चाहिए। प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि मेला क्षेत्र को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त रखा जाए।
याचिकाकर्ताओं और सरकारी पक्ष की दलीलें
याचिकाकर्ता अधिवक्ता सौरभ तिवारी की दलील
अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने गंगा जल की शुद्धता और पर्याप्तता सुनिश्चित करने के लिए याचिका दायर की थी। उन्होंने कहा कि एनजीटी के आदेश के अनुपालन की निगरानी वे स्वयं करेंगे। यदि आदेश का पालन नहीं हुआ तो वे दोबारा एनजीटी को अवगत कराएंगे।
यूपी सरकार का पक्ष
यूपी सरकार ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि गंगा और यमुना में अब नालों और टेनरियों का गंदा पानी नहीं छोड़ा जा रहा है। उन्होंने बताया कि जिन तीन स्थानों की शिकायत की गई थी, वहां जिओ ट्यूब के माध्यम से शोधित पानी छोड़ा जा रहा है।
एनजीटी के आदेश का महत्व
धार्मिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण
महाकुंभ न केवल धार्मिक आयोजन है बल्कि पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए भी महत्वपूर्ण है। एनजीटी का यह आदेश श्रद्धालुओं की सुरक्षा और गंगा जल की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए एक बड़ा कदम है।
प्रशासन की चुनौतियाँ
इस आदेश के बाद प्रशासन के लिए यह सुनिश्चित करना बड़ी चुनौती होगी कि महाकुंभ के दौरान नदियों में प्रदूषण न फैले और गंगा-यमुना की पवित्रता बनी रहे।
अगली सुनवाई और प्रगति रिपोर्ट
स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने की तारीखें
एनजीटी ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि गंगा जल की उपलब्धता और शुद्धता पर उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए 31 जनवरी और 28 फरवरी 2025 को स्टेटस रिपोर्ट पेश करें। यह रिपोर्ट एनजीटी के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी और इसे सार्वजनिक किया जाएगा।
सैंपल रिपोर्ट का विश्लेषण
एनजीटी ने यह स्पष्ट किया है कि यदि सैंपल रिपोर्ट के आधार पर गंगाजल पीने, नहाने या आचमन के लिए अनुपयुक्त पाया गया तो वह नए निर्देश जारी करेगा।